Martyr Madanlal Dhingra ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।’ इन पंक्तियों को महान बलिदानी मदनलाल ढींगरा पर चरितार्थ होने में 114 वर्ष लग गए। देर से ही सही अमृतसर के इस वीर सपूत को अपने देश में वह सम्मान और श्रद्धांजलि मिल गई जो बहुत पहले मिलनी चाहिए थी।
अमृतसर, ‘शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशां होगा।’ इन पंक्तियों को महान बलिदानी मदनलाल ढींगरा पर चरितार्थ होने में 114 वर्ष लग गए। देर से ही सही अमृतसर के इस वीर सपूत को अपने देश में वह सम्मान और श्रद्धांजलि मिल गई, जो बहुत पहले मिलनी चाहिए थी।
ढींगरा ने स्वतंत्रता संग्राम में असाधारण घटना को अंजाम दिया था। उन्होंने लंदन जाकर एक जुलाई, 1909 की शाम को अंग्रेजों के लिए भारतीयों से जासूसी करवाने वाले ब्रिटिश अधिकारी कर्जन वायली को मौत की नींद सुला दिया था। ढींगरा खुदीराम बोस जैसे क्रांतिकारियों को फांसी देने से नाराज थे और अंग्रेजों को सबक सिखाने के उद्देश्य से इस घटना को अंजाम दिया। 17 अगस्त, 1909 को ढींगरा को महज 25 वर्ष की आयु में फांसी दी गई थी।
ढींगरा अमर हो गए, पर वर्षों तक उनका एक स्मारक भी देश में नहीं बन सका। अब जाकर राज्य सरकार ने बलिदानी की स्मृति में शहर के गोलबाग में स्मारक बनवाया है। इसके निर्माण के लिए पूर्व स्वास्थ्य मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने वर्षों तक संघर्ष किया। तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर से भी मिलीं। गोलबाग में स्मारक में वीरवार को समारोह में राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित मुख्य अतिथि होंगे।
1976 में भारत आईं अस्थियां
ढींगरा का जन्म 18 सितंबर, 1883 को अमृतसर के सिकंदरी गेट में हुआ था। उनके पिता दित्ता मल अंग्रेजों के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत थे। वायली को मारने वाले ढींगरा की परिवार ने ही आलोचना की थी। यही कारण रहा कि ढींगरा की अस्थियां लंदन में पड़ी रहीं। केंद्र सरकार के प्रयास से अस्थियां 1976 में वतन लाई गईं। अब स्मारक में लंदन से ढींगरा की पिस्तौल, कपड़े लाकर यहां शोभायमान किए जाएंगे। प्रो. चावला ने स्मारक के लिए 2019 में टाउन हाल में ढींगरा की प्रतिमा के समक्ष धरना भी दिया था।
संघर्ष के बाद सफलता से सुकून मिला – प्रो.चावला
प्रो.चावला के प्रयास से श्री हरिमंदिर साहिब के निकट मदनलाल की प्रतिमा स्थापित की गई थी। अकाली-भाजपा सरकार के समय यहां हेरिटेज स्ट्रीट का निर्माण होना था, तब प्रतिमा को हटाने की कोशिशें की गईं। चावला ने ऐसा होने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि संघर्ष तो बहुत किया, पर स्मारक का निर्माण शुरू होने पर सुकून मिला।
अमृतसर का यह बेटा क्रांति की लौ जला गया था। लंदन के इंडिया हाउस में सबसे ज्यादा चर्चा कर्जन वायली की होती थी। वह भारतीयों का शत्रु था। इसलिए ढींगरा ने उसे मौत की नींद सुलाया। स्मारक का निर्माण हमारे लिए गौरव की बात है और 17 अगस्त के दिन लोग अपने इस वीर को श्रद्धासुमन अर्पित करने जरूर आएं |