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Public Accounts Committee की सिफारिशें दरकिनार; सीएम मान ने किया साफ, कहा- किसानों को मिलती रहेगी मुफ्त बिजली

सीएम मान ने कहा कि लोक लेखा कमेटी समय समय पर सिफारिशें करती रहती है लेकिन हम न तो ट्यूबवेलों की मीटरिंग करने जा रहे हैं और न ही किसानों में भेदभाव करके उनके ट्यूबवेलों की सब्सिडी बंद करने जा रहे हैं। काबिले गौर है कि पिछले महीने लोक लेखा कमेटी ने सिफारिश की थी कि सभी ट्यूबवेलों की मीटरिंग की जाए।

चंडीगढ़, पंजाब विधानसभा की लोक लेखा कमेटी (Public Accounts Committee) की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान (CM Bhagwant Mann) ने स्पष्ट किया है कि किसानों को मुफ्त बिजली जारी रहेगी। हम बड़े और छोटे किसानों के बीच भेदभाव नहीं कर सकते। ऐसा कोई फार्मूला तय करना भी मुश्किल होगा। मीडिया कर्मियों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि ट्यूबवेलों की बजाए ज्यादा खेती नहरी पानी से की जाए, यही इसका एकमात्र समाधान है।

किसानों को मिलते रहेगी मुफ्त बिजली
उन्होंने कहा कि लोक लेखा कमेटी समय समय पर सिफारिशें करती रहती है, लेकिन हम न तो ट्यूबवेलों की मीटरिंग करने जा रहे हैं और न ही छोटे और बड़े किसानों में भेदभाव करके उनके ट्यूबवेलों की सब्सिडी बंद करने जा रहे हैं। काबिले गौर है कि पिछले महीने लोक लेखा कमेटी ने सिफारिश की थी कि सभी ट्यूबवेलों की मीटरिंग की जाए ताकि यह पता चल सके कि प्रति वर्ष किसानों को बिजली की कितनी जरूरत होती है। इसके अलावा पांच हेक्टेयर से ज्यादा जमीन वाले किसानों की मुफ्त बिजली बंद की जाए।

नहरी पानी को किया जाएगा इकट्ठा
यह भी सिफारिश की कि जिन क्षेत्रों में नहरी पानी उपलब्ध है वहां के किसानों को ट्यूबवेल कनेक्शन न दिए जाएं। चौथी सिफारिश करते हुए लोक लेखा कमेटी ने कहा कि सभी फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जाए ताकि किसान धान को छोड़कर कम पानी की लागत वाली फसलों को लगाने की ओर प्रेरित हों। मुख्यमंत्री ने इन सिफारिशों को दरकिनार करते हुए कहा कि नहरी पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए अब सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है, जिसमें नहरी पानी से संबंधित तीन महकमों को इकट्ठा किया जा रहा है ताकि फैसला लेने में कोई दिक्कत न आए।

36 फीसदी खेतों में हो रही नहरी पानी से सिंचाईं
भगवंत मान ने कहा कि नहरी पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए पाइपों को जमीन के नीचे बिछाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभी तक पंजाब केवल 36 फीसदी खेतों में ही नहरी पानी से सिंचाई हो रही है जबकि इस साल हमने इसे 44 फीसदी तक किया है और हमारा लक्ष्य है कि अगले साल तक हम इसे 70 फीसदी तक ले जाएं। इससे ट्यूबवेल अपने आप ही चलने बंद हो जाएंगे। हमारी कोशिश यह भी है कि हम किसानों को नए ट्यूबवेल कनेक्शन न दें पहले ही जरूरत से ज्यादा कनेक्शन दिए हुए हैं। इसका असर भी भूजल पर आता है।

फसल न लगाने पर 25 हजार देने के प्रावधान
मुख्यमंत्री ने कहा कि धान का विकल्प ढूंढे बगैर फसली विविधिकरण की बात करना सही नहीं है। उन्होंने बताया कि नाबार्ड की एक योजना है जिसमें वह मई से लेकर अक्टूबर तक अगर कोई किसान फसल नहीं लगाता है तो उसे 25 हजार रुपए प्रति एकड़ देने का प्रावधान है, हम उन्हें कह रहे हैं कि इसे 35 हजार कर दें और पांच हजार राज्य सरकार अपनी ओर से दे देगी इससे किसान धान नहीं उगाएंगे।

हमारी बिजली और पानी दोनों बच जाएंगे। काबिले गौर है कि पंजाब में किसानों को खेती के लिए दी जा रही मुफ्त बिजली एक बड़ा मुद्दा है क्योंकि मुफ्त बिजली के कारण किसान धान जैसी सबसे ज्यादा पानी की खपत वाली फसल को लगा रहे हैं लेकिन इसे बंद करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए मुश्किल काम है।

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